19 सितंबर 2011

मल्लिका-ए-कॉंग्रेस

मल्लिका साराभाई भी तीस्ता जावेद सेतलवाद और हर्ष मंदार जैसे लोगो मे हैं जिसने पाकिस्तानी गुलाम नबी फ़ाई से भारी धन पाकर हिंदूजन व हिन्दू संगठनो को बदनाम करने की सुपारी ले रखी है।
कॉंग्रेस राज मे खुद मल्लिका साराभाई ने दिल्ली दूर दर्शन पर अपनी दर्पण एकेडेमी के लिए कार्यक्रम (स्लॉट) हथियाकर लाखो-करोड़ो रुपये कमाए हैं। उसकी एनजीओ कॉंग्रेस से ही नही विदेशो से पैसा पाती है। 
इसी तरह कहा जाता है कि, मल्लिका साराभाई ने विदेशो मे अपने डांस शो के नाम पर कई लोगो के लिए कबूतरबाजी भी की है। लेकिन केंद्र की कॉंग्रेस सरकार की मेहरबानी से वह किसी भी कानूनी कार्रवाई मे नही फंसी है।

मजे की बात है कि मोदी और हिंदूजन के खिलाफ जहर उगलने मे हमेशा तीस्ता आगे रहती थी लेकिन कोर्ट मे कई बार फर्जी हलफनामे पेश करने के कारण कई बार फटकार खाने और मुस्लिमो के नाम से विदेशो से फंड ऐंठने के कारण वह खुद मुस्लिमो मे भी अपना भरोसा खो चुकी है। लिहाजा उसने अपनी 'छोटी बहन' मल्लिका को आगे कर दिया है।

मल्लिका का हिन्दू द्वेष नया नही है। वह गुजरात दंगो से पहले से हिन्दू विरोध के लिए मुखर रही है। बूढ़ी होने के कारण अब वह डांस तो कर नही सकती। सोचती है चलो 'मानवाधिकार वादी' बनाकर ही कमाई की जाये। गुजरात दंगो मे उसने हिंदुओं के खिलाफ काफी बवाल किया था, नतीजन कॉंग्रेस ने उसे 'उपकृत' भी किया है।
मल्लिका ने करीब एक महीने पहले अन्ना आंदोलन के दौरान भी अंग्रेजी अखबार DNA मे एक लेखा लिखकर मोदी पर भ्रस्टाचार के आरोप लगाए थे। बिना किसी ठोसा सबूत के सिर्फ हवाबाजी कराते हुए..! मोदी से खुश अन्ना को मोदी के खिलाफ भड़काने का काम भी अग्निवेश के साथ मिलकर मल्लिका ने किया था। जबकि इससे पहले वह अन्ना आंदोलन के साथ थी ही नही, लेकिन मोदी का नाम आते ही कूद पड़ी..!!
हमेशा गुजरात दंगो मे मुसलमानो की रूडाली गाने वाली मालिका ने कभी भी गोधरा मे ट्रेन मे जलाए गए 62 हिन्दुओ के लिए कुछ नही कहा। ना ही कभी कश्मीरी पंडितो या असम-बंगाल-पूर्वोत्तर मे मुल्लाओ व मिशनरियो के जुल्मो के शिकार हो रहे हिंदुओं के लिए कुछ कहा/किया।

ऐसे मे मल्लिका का मोदी को बदनाम करके कॉंग्रेस के अहसान चुकाने जरूरी ही हैं। दर असल गुजरात मे इस औरत की कोई इज्जत नही है। यह सिर्फ अपने सरनेम साराभाई के लिए जानी जाती है।

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