वोट बैंक के लालच में जब कोंग्रेस का प्रधानमंत्री यह कहे कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है. जब पासवान जैसे नेता बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री की वकालात करे. जब गांधी परिवार का युवराज देश का प्रधानमंत्री मुस्लिम को बनाने का झुनझुना बजाये तो लाजिमी है कि मुस्लिम आरक्षण के लिए दादागिरी करें. मजे की बात ये है कि अपनी मजहबी कट्टरता और अन्य कारणों से पिछड़ा रहनेवाला मुस्लिम समाज अपने पिछड़ेपन की जिम्मेदारी का ठीकरा देश पर फोड़कर अपना तथाकथित हक़ मांग रहा है. सच्चर और रंगनाथ मिश्र जैसे महानुभावो की रिपोर्टो ने अब उनके हौंसले और बुलंद हो गए हैं. तो इधर विकास, सुशासन, महंगाई, ईमानदारी और नैतिकता जैसे मुद्दों पर फिसड्डी साबित हो रहे कोंग्रेस, कम्युनिस्ट और सपा-बसपा-राजद-पासवान जैसे दल आरक्षण की रेवडिया बांटकर सत्ता सुख भोगने को आतुर हैं. देश जाए भाड़ में, प्रतिभाएं भी जाए भाड़ में, एकता और समानता भी जाए भाड़ में...बस इन्हें सत्ता चाहिए..
आइए इस सम्बन्ध में बीबीसी हिन्दी पर छपी खबर पर गौर करते हैं..
आरक्षण नहीं तो वोट नहीं' का नारा
उमर फ़ारूक़ | बीबीसी संवाददाता, हैदराबाद से
शनिवार रात को हैदराबाद में मुसलमानों ने एक बड़ी रैली की. इस रैली में मुस्लिम संगठनों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी शक्ति का ज़बरदस्त प्रदर्शन किया.
रैली में कांग्रेस पार्टी को चेतावनी दी गई है कि अगर मुसलमानों को आरक्षण नहीं दिया गया तो अगले चुनाव में वे कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं देंगे.
रैली में यह भी मांग की गई कि महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक में संशोधन किया जाए. इसमें मुसलमान और अन्य पिछड़ी जातियों की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिया जाए ताकि उन्हें भी प्रतिनिधित्व मिल सके.
रैली में तक़रीबन एक लाख मुसलमानों ने भाग लिया.
गत महीने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य में मुसलमानों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिया गया चार फ़ीसदी आरक्षण रद्द कर दिया था.
तभी से मुसलमान राज्य सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि इस आरक्षण को जारी रखने के लिए कदम उठाया जाए.
रैली का आयोजन मुस्लिम मुत्तहेदा मजलिस-इ-अमल ने किया था.
रैली को स्थानीय नेताओं के अलावा राज्य सभा के उन तीन सदस्यों ने भी संबोधित किया जिन्हें हाल ही में महिला विधेयक पर चर्चा के दौरान अव्यवस्था फैलाने पर राज्य सभा से निलंबित कर दिया गया था.
इनमें निर्दलीय एजाज़ अली, लोक जन शक्ति के सबीर अली और समाजवादी पार्टी के कमाल अख्तर शामिल थे.
आरक्षण मुसलमानों का संवैधानिक अधिकार
हैदराबाद के सांसद और मज़लिस के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमान आरक्षण के लिए भीख नहीं मांग रहा है बल्कि यह उसका संवैधानिक अधिकार है. यह अधिकार उसे मिलना ही चाहिए.
उन्होंने कहा कि गत 50-60 वर्षों में मुसलमान इतना पिछड़ गया है कि उसकी हालत दलितों से भी ख़राब हो गई है. स्वयं सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्र आयोग ने अपनी रिपोर्टों में इसका उल्लेख किया है और मुसलमानों के साथ न्याय की ज़रुरत बताई है.
रैली में पारित प्रस्तावों में मांग की गई कि आंध्र प्रदेश में मुसलमानों के लिए 4 फ़ीसदी आरक्षण बहाल किया जाए. यह भी कि रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिश के अनुसार मुसलमानों को 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाए और महिला आरक्षण विधेयक में संशोधन करके मुसलमान और अन्य पिछड़ी जातियों की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाय.
रैली में विभिन्न दलों के नेता
रैली में जिन स्थानीय नेताओं ने संबोधित किया उनमें तेलुगु देशम के लालजन बाशा और कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद अली शब्बीर थे.
इन नेताओं ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर तमाम मुसलमान एक हैं चाहे उनका सम्बन्ध किसी भी दल से हो.
शब्बीर ने आश्वासन दिया, ‘‘राज्य सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि मुसलमान छात्रों को अगले वर्ष भी आरक्षण का फ़ायदा मिले और इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है.’’
डॉ. एजाज़ अली ने कहा कि संविधान की धारा 143 में आरक्षण के मामले में धर्म के आधार पर भेदभाव बरता गया है. इसलिए इसमें संशोधन होना चाहिए ताकि मुसलमानों को बराबर का अधिकार मिल सके.
राज्य सभा के बाकी दोनों सदस्यों- लोक जन शक्ति के सबीर अली और समाजवादी पार्टी के कमल अख्तर ने भी मुसलमानों के लिए आरक्षण के विषय को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने और सरकार पर दबाव बढ़ाने की ज़रुरत पर जोर दिया.
सेकुलर उवाच:
''राज्य सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि मुसलमान छात्रों को अगले वर्ष भी आरक्षण का फ़ायदा मिले और इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है.'' मुहम्मद अली शब्बीर, कांग्रेसी नेता
1 टिप्पणी:
आइये सभी हिन्दू मिलकर आत्महत्या कर लें .
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