13 फ़रवरी 2010

मेरा मीडिया महान: युवराज के बाद अब खान का यशोगान!


आखिर 'माय नेम इज खान' को लेकर शाहरुख बनाम शिवसेना की जंग में शाहरुख के पक्ष में माहौल बनाकर मीडिया ने शाहरुख को 'विजेता' घोषित कर ही दिया है. और शाहरुख को विजेता घोषित करने में मीडिया को अपने सेकुलर आका कोंग्रेस को भी गरियाना पडा...कि सरकार ने वादा करके भी फिल्म की रिलीज में शिवसेना की अड़चन को दूर नहीं किया. जैसेकि सरकार के पास फिल्म रिलीज कराने के अलावा कोई और काम ही नहीं हो.

हकीकत ये है कि, जब सेकुलर निजाम ने अपने सारे सिपाही शाहरुख के पोस्टरों की रखवाली में तैनात किए हो, जब मीडिया वास्तविक मुद्दे ताक में रखकर शाहरुख के महिमा मंडन में लग जाए तो शाहरुख क्या किसी की भी फिल्म की औकात बढ़ जायेगी. मुम्बई में शिवरात्री पर हाल ये था की बाबुलनाथ और पवई शिवालयो समेत प्रमुख मंदिरों में (जहां लाखो भक्त दर्शन हेतु आते हैं) पर्याप्त सुरक्षा इन्तेजाम नहीं था, क्योकि अधिकाँश पुलिस बल उस शाहरुख खान की फिल्म रिलीज करने के लिए तैनात था, जो खुद को इस्लामिक आइकन मानता है और दुबई में जा बैठा है. जो २६/११ मुम्बई समेत हिन्दुस्तान में हुए तमाम आंतकी हमलो के केंद्र पाकिस्तान की पैरवी करता है. हालांकि मीडिया में इतनी हिम्मत कहाँ कि, शाहरुख से इस पाकिस्तान-प्रेमी बयान के बारे में पूछे. बल्कि मीडिया ने भरपूर कोशिश की कि यह विवाद व्यवस्था बनाम-फिल्म उद्योग बन जाए, क्षेत्रवाद बनाम-राष्ट्रवाद बन जाए, हिन्दू-बनाम मुस्लिम बन जाए, लेकिन भारत-प्रेमी और भारत-विरोधी न बन पाए. मीडिया या जमात -ए-सेकुलर ने कभी भी शाहरुख या करण जैसे लोगो से यह नहीं पूछा कि 'माय नेम इज खान' ही क्यों? 'माय नेम इज कश्मीरी पंडित' क्यों नहीं? 'माय नेम इज पाकिस्तानी हिन्दू' क्यों नहीं? 'माय नेम इज तसलीमा' क्यों नहीं? आखिर वह अपनी फिल्मो के माध्यम से किस तरह के अल्पसंख्यकवाद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं? और छवि-तोड़क फिल्मे बनाने के लिए इतने उतारू क्यों हैं?

शाहरुख़ खान की असली सेकुलरी तो तब दिखती जब वह एक मुस्लिम होने के बावजूद कश्मीरी हिन्दूओ पर हुए जुल्मो-सितम पर फिल्म बनाकर उसे देश-दुनिया के सामने लाते. और जेहादी दशहतगर्दी को लानत-मलालत करते और इस्लाम के सच्चे बन्दे होने के नाते इस्लामी-आंतक के खिलाफ खुलकर बोलते.  खैर अब तक की उनकी बातो को देखकर नहीं लगता कि वह कोई ऐसी हिम्मत करे. क्योंकि ऐसा होने पर उनके खिलाफ फ़तवो की दूकान खुल जायेगी या दुबई से बड़े 'भाई' का कॉल आ जाएगा. और अगर उनको भी धता बताकर एक असली खान-पठान का दम-ख़म दिखाकर कश्मीरी/पाकिस्तानी/बांग्लादेशी या मलेशियाई हिन्दू की पीडाओ पर कोई फिल्म बनाने की कोशिश भी करे तो हमारे सेकुलर नेता और मीडिया उन्हें बनाने नहीं देगी.

अब खबर ये है कि, कोंग्रेसी नेता शाहरुख खान के टिकट थोक के भाव खरीदकर लोगो को मुफ्त बाँट रहे है. इसका भी उनको फायदा मिलने ही वाला है. क्योंकि इस फिल्म में भी उसी 'अल्पसंख्यकवाद' को स्थापित और महिमा मंडित करने का प्रयास किया गया है, जो कोंग्रेस के लिए वोट बैंक की जमीन तैयार करता है.हो सकता है कि आगामी दिनों में कोंग्रेस सेवादल या एन एस यु आई के कार्यकर्ता देश के सिनेमाघरों के बाहर ..खान के टिकट ब्लैक में बेचते नजर आएं.

इस सारे घटनाक्रम से कई सवाल उपजे हैं. क्या भारत की जनता के पैसो से हिट -सुपरहिट होने वाले कलाकार की अपनी पाकिस्तानी भाइयो की पैरवी सही है? क्या मीडिया फिल्म या व्यक्ति विशेष के लिए ही भोंपू बनाकर महंगाई, आतंरिक सुरक्षा जैसे मुद्दों को दबा दे यही पत्रकारिता है. देखना ये है कि पाकिस्तान-परस्त शाहरुख खान को हिन्दुस्तान-परस्त शिवसेना के सामने भारी दिखाने का यह खेल कितने दिन टिकता है? खैर इस सारे प्रकरण में मीडिया और शाहरुख खान ने अपनी जात दिखा दी है, जिसका असर उनकी आगामी फिल्मो पर भी पड़ा सकता है. 

सटाक: भाई अनिल पुसदकर ने अपने ब्लॉग पर सौ टके की बात कही है: 'अगर मीडिया महंगाई कम करने के लिए इतनी मेहनत से सरकार पर दबाव डालती तो एक शाहरुख खान क्या सारे हिन्दुस्तान की प्रजा को राहत मिलती.'

5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

मीडिया ने कभी अमिताभ के लिये यह बेकरारी नहीं दिखाई, क्योंकि एक तो वह हिन्दू हैं और ऊपर से गाँधी परिवार के विरोधी… लेकिन शाहरुख को तो कांग्रेस का टिकिट मिलने वाला है अगले लोकसभा चुनाव में… और कांग्रेस तो अज़हर जैसों को पालने में शुरु से माहिर रही है… :)

"सेकुलरिज़्म" देशद्रोह का ही दूसरा नाम है यह पहले भी सिद्ध हो चुका है अब तो इसका नंगा नाच भी देख लिया… कि शाहरुख से कोई सवाल नहीं कि "तूने किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी को क्यों नहीं खरीदा…?"

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

खान का जमाना है. सेक्युलर बनिये वरना बिल आ जायेगा जो जय खान नहीं कहेगा अन्दर कर दिया जायेगा. जय खान जय सेक्युलर.

विजय प्रकाश सिंह ने कहा…

जीत भाई आप ने रवीश के क़स्बा पर टिप्पड़ी देते समय मेरे शब्दों को उद्धरित किया इसके लिए धन्यवाद । मगर आप के बाद किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया इसके लिए खेद है । जहां तक कश्मीर मे चल रहे ज़िहाद के विरोध की बात है तो एक जानकारी जो इस मुद्दे पर दिलचस्प होगी , जहां तक मुझे पता है शाहरुख की पत्नी गौरी कश्मीरी मूल की हिंदू ब्राह्मण हैं ।

Unknown ने कहा…

गद्दारी और देशद्रोह शाहरूख और मिडीया का सांझा एजंडा जो ठहरा ।

D.P. Mishra ने कहा…

ati sundar