23 नवंबर 2009

२६/११ की बरसी और अजमल की बिरयानी !


एक ओर सारा देश २६/११ के मुम्बई पर हुए हमले की बरसी मना रहा है, वही दूसरी ओर अजमल कसाब को 'अच्छी' बिरयानी चाहिए. मुम्बई पर हुए हमले के दौरान पकडे गए और कई मासूम लोगों की बेरहम ह्त्या करने वाले अजमल कसाब सरकारी खर्चे पर एश करते हुए आए दिन नए-नए शफूगे छोड़कर कोर्ट और देश- दुनिया को गुमराह कर रहा है. एक अफजल गुरु सजायाप्ता होने के बावजूद  दिल्ली में सरकारी जमाई बनकर बिरयानी खा रहा है तो दूसरा मुम्बई में अच्छी बिरयानी के लिए धौंस जमा रहा है. और सरकार व पुलिस को टरका रहा है. सेकुलर राजनीति के वोटो के लालच में आतंकियों की अगवानी की प्रवृत्ति के चलते उसके दुस्साहस की बानगी देखिये...यह खबर छपी है दैनिक जागरण में.

अजमल का आरोप, मेरे खाने में ड्रग्स 

Nov 18, 12:00 am

मुंबई। पाकिस्तानी आतंकी मुहम्मद अजमल अमीर इमान उर्फ अजमल कसाब ने आतंकवाद निरोधी अदालत से शिकायत की है कि उसे जेल में खाने में ड्रग्स मिलाकर दिया जा रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने गत वर्ष 26 नवंबर के आतंकी हमले के दौरान जिंदा गिरफ्तार एकमात्र आतंकी अजमल के इस आरोप को खारिज कर दिया है।
विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने बुधवार को यहां बताया कि अजमल ने कुछ दिन पहले न्यायाधीश एम.एल. तहलियानी से शिकायत की थी कि उसे जो भोजन दिया जा रहा है, उसमें ड्रग्स मिला होता है। उसने अपने आरोप को साबित करने के लिए खाने के लिए मिले चावल के नमूने भी अदालत को दिए थे।
उसकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए अदालत ने उस नमूने को चिकित्सा विशेषज्ञों की राय जानने के लिए भेजा था। निकम ने बताया कि विशेषज्ञों ने चावल में कोई ड्रग्स नहीं मिले होने की बात कही। उल्लेखनीय है कि इससे पहले अजमल ने जेल प्रशासन पर भोजन में घटिया बिरयानी देने का आरोप लगाया था।
निकम ने कहा कि अजमल झूठा है और मामले की सुनवाई को भरमाने के लिए वह बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। निकम के मुताबिक मुंबई हमले की सुनवाई अब अंतिम चरण में है और अजमल को अब मालूम हो गया है कि उसे सजा दिलाने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं।
(साभार: दैनिक जागरण)

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

क्या कहा जाये!

जीत भार्गव ने कहा…

समीर जी इस देश में यही तो रोना है. हमारे हाथ में कुछ नहीं है. और जिसके हाथ मजबूत किए वह वोट के खातिर आतंकियों की मेहमान नवाजी कर रहे हैं. पांच साल में एक बार वोट देने का मौक़ा मिलता है, वह भी दारु की बोतल के बदले या 'युवराज' की चिकनी सूरत देकर लूटा आते हैं. अब आतंकवाद के खिलाफ बोलना भी 'साम्प्रदायिकता' की श्रेणी में आता है और आतंकवाद की पैरवी करना मानवाधिकार, सेकुलर, प्रगतीशीलता, बौद्धिक बात मानी जाती है.

आशुतोष ने कहा…

अजमल आमिर कसाब को फांसी नहीं होनी चाहिए. वह तो जेहाद के नाम पर मरने हीं आया था. अजमल आमिर कसाब को एक पिंजरे में बैंड कर के देश तथा विदेशों में प्रदर्शनी करनी चाहिए. तथा उसके खाने में वही वस्तुएं दी जानी चाहिए जो भारत के गरीब लोग खाते हैं. जैसे रोटी और एक चौथाई प्याज(क्योंकि प्याज भी अब गरीबो को भोजन नहीं रह गया है, और एक प्याज तो मुश्किल से ही मिलता है)

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

जीत जी आप बिरयानी की बात कर रहे हैं .... मुझे तो लगता है .... कौन जाने उसे बिरयानी के साथ साथ और भी बहुत कुछ (सुर, सुरा, सुंदरी ...) दिया जाता होगा ... जब तक हम चुप बैठे रहेंगे ... तब तक ऐसा ही होता रहेगा ...