चुनाव के ठीक पहले अब पुलिस में भी सेकुलरवाद और सच्चरवाद का काला साया करीब तीन माह बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में भला राज्य की कोंग्रेस-एनसीपी सरकार थोक के भाव मिलने वाले मुस्लिम वोटों को कैसे अनदेखा कर सकती है? लिहाजा इस 'सेकुलर' सरकार ने महासेकुलर सच्चर रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस विभाग में १०% मुस्लिम आरक्षण का झुनझुना थमा दिया है. इसके साथ ही पुलिस की नौकरी में चयन से पूर्व शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए २.१७ करोड़ भी आबंटित किये हैं. और पुलिस महकमे में मुस्लिमों की विशेष भर्ती को गति देने के लिए सरकारी खर्च पर महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले में शिविर भी आयोजित किये जायेंगे. करदाताओं की गाढी कमाई से अपने वोट बैंक की चापलूसी करना कौनसा सेकुलरिज्म है? यह तो शायद सोनिया, पवार, राहुल जैसे लोग ही बता पाएंगे. एक तरफ प्रदेश की पुलिस लाठी और पुराने हथियारों के बल पर अति-आधुनिक हथियारों और एके-४७ से लैस बेरहम आतंकवादियों का सामना करने को मजबूर है. जिसके आधुनिकरण और सक्षम बनाने का मुद्दा धुल चाट रहा है, लेकिन मुस्लिमों के कथित पिछडेपन के नाम पर अपनी वोट बैंक की रोंटियाँ सेंक कर कोंग्रेस-एनसीपी सरकार आतंरिक सुरक्षा के लिहाज से अहम पुलिस विभाग का कबाडा करने पर तुली हुई है. आरक्षण एक बार फिर वोट हथियाने का बहाना बन गया है. मजे की बात ये है कि महाराष्ट्र की इस सेकुलर सरकार के सेकुलर अल्पसंख्यक मंत्री अनीस अहमद द्वारा के 'अल्पसंख्यकों' के नाम पर खेले गए इस खेल में सिख, ईसाई, पारसी, नवबौद्ध और जैन सरीखे अल्पसंख्यक वर्गों का कोई व्यवस्था नहीं है. खैर, आइए अंगरेजी अखबार DNA, Mumbai में इस सम्बन्ध में छपे समाचार पर गौर करते हैं: |
State wants 10% of cops to be Muslims |
Allocates Rs2.17 crore to set up pre-selection camps for minorities in all districts |
Surendra Gangan |
To raise the percentage of Muslims in the police force from from 4 to 10, the state minority department has introduced an ambitious pre-selection training programme that aims to train 3,500 youth from minorities sections. The state has allocated a fund of Rs2.17 crore for the two-month camps in all districts across the state. It has also proposed to hike the attendance allowance to Rs2,000 per year for minority students in classes V to VII to decrease the dropout rate. (Source: DNA, Mumbai, 06 August, 2009) |
आजाद हिन्दुस्तान में जिन शब्दों ने सबसे ज्यादा गुमराह किया है, उनमें से एक है “सेकुलर”. इसी के सही मायने समझने-समझाने और भारत की सेकुलर राजनीति का पर्दाफाश करने के साथ ही मुख्यधारा के मीडिया, विचारकों की दुनिया में घुसे तथाकथित सेकुलर-वादियों की खरपतवार के पाखंड को उजागर करना ही हमारा लक्ष्य है. यह एक गैर-राजनीतिक मंच है. और देश में सर्वधर्म समानता, सदभाव, और राष्ट्र की अस्मिता के रक्षण के लिए समर्पित इस अभियान में आपके सहयोग की अपेक्षा है. वंदेमातरम! जयहिंद !
07 अगस्त 2009
महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुलिस में १०% मुस्लिम आरक्षण का नजराना
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1 टिप्पणी:
पहले पुलिस पुलिस से भिड़ती थी. अब आतंकवादी आतंकवादी से भिडेंगे. होगा हिंदुस्तान का सत्यानाश.
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