05 अगस्त 2009

पासवान को चाहिए धर्म के नाम पर आरक्षण !

अपने फायदे के लिए वास्तविक दलित हितों पर कुठाराघात की साजिश.

कभी बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री का झुनझुना चलाने वाले कथित दलित नेता रामविलास पासवान ने अब मुस्लिमों और ईसाइयों के आरक्षण का राग अलापना शुरू कर दिया है. चार साल पहले मुख्य मंत्री की कुर्सी के लिए लालू के घोर विरोधी रहे पासवान ने लालू के साथ केंद्र की कोंग्रेस सरकार में सत्ता सुख लिया. फिर लोकसभा चुनावों में नीतीश को हारने के लिए लालू से ही दोस्ती गाँठ ली. फिर भी हाल ही के लोकसभा चुनाव में करारी हार ही मिली. दलित नेता होने के बावजूद मायावती जैसी दूसरी दलित नेताओं से द्वेष रखकर दलित एकता में ही बाधा बननेवाले पासवान ने दलितों के नाम पर काफी सत्ता सुख भोगा. अब केवल दलितों की पैरवी से ही पेट नहीं भरता देख दलितों को छोड़ अब वह मुसलमानों के भी मसीहा बनने के फिराक में हैं. अब वह पिछडे और वंचित दलितों को मिलने वाले आरक्षण में बंटवारा करके आरक्षण की रेवड़ी मुस्लिमों और ईसाइयों के देना चाहते हैं. पासवान का मानना है कि, दलित हित और हक जाए भाड़ में मुस्लिमों और ईसाइयों को मक्खन बांटा जाए. पासवान का हिसाब सीधा-सा है... दलित हितों के नाम पर इतना सफ़र काफी है अब आगे का सफ़र दलितों का हक छीनकर मुस्लिमों व ईसाइयों में बांटकर सत्ता सुख भोगा जाए. हमारे देश में आरक्षण, केवल सत्ता हथियाने का साधन बन गया है. इस बार लालू, मुलायम, मायावती, कम्युनिस्टों और कोंग्रेस सभी को पछाड़कर पासवान ने मुस्लिम-ईसाई आरक्षण का राग छेड़ा है. यानी उन्हें क्रेडिट मिलना और थोक के भाव वोट मिलना तय है. सेकुलरिज्म यानी धर्मनिपेक्षता के नाम पर मजहब आधारित आरक्षण की मांग करना क्या साम्प्रदायिकता नहीं है? यह कौनसा सेकुलरिज्म है? जाहिर है कोई सेकुलर चैनलवाला या पत्रकार यह सवाल नहीं उठाएगा. अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछाडे वर्ग, महिलाओं और दलितों के हक छीनना कौनसा सामाजिक न्याय है? इसका जवाब भी सेकुलकर बिरादरी के पास नहीं है. हाँ, लेकिन इसका जवाब भारत के दलित और वंचित वर्ग जरूर दे सकते हैं. आइए दैनिक जागरण में छपी खबर पर गौर करते हैं...

पासवान ने खेला मुस्लिम कार्ड
दैनिक जागरण ५ अगस्त

पटना [जागरण ब्यूरो]। आम चुनावों में सूपड़ा साफ होने के बाद लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान अब बिहार में अपनी जमीन तलाशने में जुटे हैं। इस कवायद के तहत बुधवार को उन्होंने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया।

मुस्लिम कार्ड खेलते हुए पासवान का कहना था कि नीतीश सरकार अगर अपने आपको मुस्लिमों का हितैषी कहती है तो पिछड़े मुसलमानों को नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था करे।

एस के मेमोरियल हाल में लोजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राज्य स्तरीय सम्मेलन में पासवान ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश करे और उनकी सिफारिशों को शत प्रतिशत लागू करे। लोजपा नेता का कहना था कि दलित मुस्लिम व दलित ईसाई के लिए नौकरियों में अलग से आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए। पासवान ने कहा कि हर हाल में पिछड़े मुस्लिमों के लिए नौकरियों में दस प्रतिशत का आरक्षण किया जाना चाहिए।

पासवान ने कहा 1956 में संविधान की धारा 341 के तहत पिछड़े सिखों को भी दलितों की सूची में शामिल कर लिया गया और ठीक इसी तरह 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने नवबौद्धों को दलितों की सूची में शामिल कर लिया। इसी तर्ज पर यह सुविधा दलित मुसलमानों और ईसाइयों को मिलनी चाहिए.

(साभार: दैनिक जागरण)


2 टिप्‍पणियां:

बेरोजगार ने कहा…

aacha hai le lene do.hamen kya fark padata hai.ham to aise hi latiyaye gaye hain.arkshan khatma to hoga nahi ek din khoon ki nadiu=yan bahegi aarakshan ke naam par.BHAGWAN AGALA JANMA MUJHE BHARAT MEN MAT DENA AISE KISI DESH MEN DENA JAHAN AARKSHAN NA HO.

Science Bloggers Association ने कहा…

Is desh men yahi sab chalta rahta hai.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }