02 फ़रवरी 2011

सुरेश चिपलूनकर होने के मायने..


आम हिन्दुस्तानी की आवाज को जरूरत है हमारी-आपकी ताकत की !! मीडियाई भ्रष्टाचार के इस माहौल में एक ईमानदार विकल्प देने की पहल को अनसुना कर दिया तो कल हमारी कोई नहीं सुनेगा.

भारतीय पत्रकारिता ने प्रिंट से होते हुए इलेक्ट्रोनिक मीडिया और फिर वेब मीडिया में अपनी दस्तक दे दी है. इसके समानांतर ब्लोगिंग ने भी अपने पाँव पसारे. मुख्यधारा के मीडिया कहे जाने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक में कुछ राष्ट्रवादी अपवादों को छोड़कर अधिकाँश हिस्सा ‘वाम और वंश’ की अराधना में मग्न है. सेकुलरवाद के नाम पर ऐसा करना सुविधाजनक भी है, और फायदे का सौदा भी. आप खा-पीकर वाम-वंश की साधना कर सकते हैं, उनकी भ्रष्ट करतूतों पर परदा डाल सकते है, और इस तरफदारी के कारण के लिहाज से 'सेकुलरिज्म' (वह सेकुलरिज्म जिसकी परिभाषा चर्च या जेहादी तय करते हैं ) का हवाला दे सकते हैं. (राडिया के कारण -बुर्का दत्त-प्रभु चावला-राजदीप सरदेसाई (सी डी खाऊ) जैसे 'महान सेकुलर' पत्रकारों की असलियत तो हम जान ही चुके हैं) यानी हिन्दुस्तान में नेतागिरी से लेकर मीडियागिरी में आप सेकुलर हो तो बहुत फायदे में रहोगो, बहुत से सवालों से ऊपर रहोगे!!

लेकिन इस माहौल में भी कुछ बन्दे राष्ट्रवाद और सचाई की मशाल जलाने की गुस्ताखी कर रहे हैं. उज्जैन निवासी सुरेश चिपलूनकर भी उन गिने-चुने दुस्साहसी लोगो में हैं जो पिछले कई वर्षो से यह 'घाटे का असुविधाजनक'  काम कर रहे हैं. आला दर्जे के गाँठ के गोपीचंद बनकर लिखने वाले सुरेश जी के पीछे ना तो कोई सत्ता-प्रतिष्ठान है और ना ही किसी चर्च या खाड़ी देश का पोषण. और तो और वह सिर्फ लिखने की रस्म अदायगी नहीं करते बल्कि पूरी प्रतिबद्धता से लिखते हैं. विषय पर पूरा रीसर्च करके और मनन करके वह तर्कों की ऐसी धार तैयार करते हैं कि उनके वैचारिक विरोधी भी इसके कायल हैं (हालांकि वह इसे स्वीकार करने में थोड़ी 'सेकुलर कंजूसी' जरूर करते हैं)

सुरेशजी भगवान् महाकाल की नगरी में रहते हैं इसलिए निर्भीक हैं, ईमानदार हैं, लाजवाब लिखते हैं, राष्ट्र के लिए सोचते हैं, और किसी 'इतालवी महारानी' या 'लाल झंडे वाले देश' की मेहरबानी या इशारे पर नहीं लिखते हैं. ना ही हिन्दुस्तान को 'दारुल-हरब' बनाने को बेताब किसी 'जेहादी देश' से खैरात पाते है और ना ही धर्मान्तरण के धंधे के लिए MNC कंपनी की तर्ज पर काम करने वाले वेटिकन चरक से उन्हें 'मानव-सेवा' के लिए कोई दान मिलता है. वह सिर्फ भारत मां के लिए, उसकी जनता -जनार्दन के लिए लिखते हैं.

और इसी सचाई और स्वतन्त्र धारदार लेखनी के कारण आज सुरेशजी के ब्लॉग के हजारो की तादाद में सब्स्क्राइबर / फोलोअर हैं.  और अपंजीकृत पाठको की संख्या का तो हिसाब ही नहीं है. वह अपने ब्लॉग पर भी जबरदस्त हिट पाते हैं. खुशी की बात है कि दिन-ब-दिन उनके चाहको की संख्या बढ़ती जा रही है (जिस कारण 'जेहादी-क्रूसेडर सेकुलरो' की नींद भी हराम हो रही है!). उनकी प्रसिद्धी के यह आंकड़े हिन्दी की कई नामी वेबसाईट से भी ज्यादा हैं.

सुरेश जी कारण न केवल राष्ट्रवादी-हिन्दुत्ववादी ब्लोगरो के मन में आशा का संचार हुआ है बल्कि एक हौंसला, बेहतर लिखने की प्रेरणा भी मिली है. यूं कह सकते हैं कि ब्लॉगजगत में सुरेश चिपलूनकर अपने आप में एक संस्थान बन चुके हैं.

काफी समय से इसकी मांग थी कि, सुरेशजी ब्लोगिंग से आगे बढे और उनके नेतृत्व में एक समग्र वेबसाईट की शुरूआत की जाए. और इसी क्रम में एक पहल की जा रही है. लेकिन इसमे सबसे बड़ी समस्या है धन की. क्योंकि उन्हें सेकूलर मीडिया की तरह अन्दर-बाहर से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. और ना ही वह ऐसी किसी सहायता से मदद पाकर अपनी कलम की धार को गिरवी रखना चाहते हैं.
मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर के लेखक सुरेश चिपलूनकर महज दो कंप्यूटर वाला छोटा-सा सायबर कैफे चलाते है. यही उनकी आमदनी का जरिया और और यही उनकी ब्लोगिंग का औजार है. अभावो के बावजूद राष्ट्र चिंता में समय-साधन और साधना समर्पित करने वाले इस शख्स के प्रयास सफल बनाने में हम सबकी सफलता है. वह जनता के लिए लिखते हैं, अत: उनकी तरफ मदद का हाथ बढाने का जिम्मा भी आप-हम जैसे आम नागरिको को हैं. ..जो इस देश के लिए सोचते हैं, बदलाव लाने के इच्छुक हैं, सच जानने के इच्छुक हैं. कथित मुख्यधारा के सेकुलर मीडिया की कली करतूतों और एकतरफा पत्रकारिता से त्रस्त हैं. अगर हम सुरेशजी का साथ नहीं देंगे तो राष्ट्र-वैभव के इस यज्ञ में आहुती देने के लिए आगे आने की जोखिम कौन प्रतिभाशाली लेखक/पत्रकार उठाएगा...?

जो लोग सुरेशजी को पढ़ चुके हैं. उन्हें अहसास है कि उनको पढ़ने का एक अलग ही नशा है. एक अलग ही आनंद हैं. वह सेकुलरिज्म की अफीम पीलाकर सुलाए गए लोगो को झिंझोड़कर जगाते हैं. वह  सेकुलरो और उनकी राष्ट्रघाती करतूतों पर ऐसे सवाल उठाते हैं कि हम विस्मित हो जाते हैं. जिस तरह से वह सेकुलरिज्म के नाम पर होनेवाले गोरखधंधे की पोल खोलते हैं ... मन अनायास ही उन्हें 'सुरेशलीक्स' (विकीलिक्स की तर्ज पर) कहना चाहता  है.  और सबसे बड़ी बात आज देश और समाज को सुरेशजी की जरूरत है. और ऐसे राष्ट्रवादी चिन्तक को हमारी ताकत की जरूरत है.
मेरा व्यक्तिगत आग्रह है कि, सुरेश चिपलूनकर की प्रस्तावित वेबसाईट में मुक्त हस्त से योगदान दीजिये. जिनके पास पे-पाल खाता अथवा क्रेडिट कार्ड नहीं हैं, वे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के सेविंग खाता क्रमांक 030046820585 (SURESH CHIPLUNKAR)- IFSC Code : SBIN0001309 में भारत के किसी भी कोने से राशि डाल सकते हैं. 

आप अधिक जानकारी के लिए और उनकी धारदार लेखनी का नमूना देखने उनके ब्लॉग पर पधार सकते हैं. आर्थिक योगदान संबधी किसी भी जानकारी के लिए उनसे suresh.chiplunkar @gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं. विश्वाव कीजिये आपका योगदान बेकार नहीं जाएगा. 

4 टिप्‍पणियां:

दिवाकर मणि ने कहा…

सुरेश जी जैसे सुलझे हुए, राष्ट्रवादी, तार्किक बातें करने वाले, सीमित संसाधनों में भी अपनी लेखनी द्वारा हिन्दू समाज और राष्ट्र को सही दिशा दिखाने वाले, व्यक्ति के रूप में संगठन समान कार्य करने वाले व्यक्ति के बारे में बताने के लिए आपका कोटिशः हार्दिक आभार.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

जी. इस दिशा में सहयोग करना आज भटके हुए लोकतंत्र को पटरी पर लाने के लिए आवश्यक है.

नीरज दीवान ने कहा…

निःसंदेह। मसलों को देखने का साहसी नज़रिया सुरेश चिपलूनकर जी की ख़ासियत है।
जीत जी ने बड़ी मार्के की बात कही है- हिन्दुस्तान में नेतागिरी से लेकर मीडियागिरी में आप सेकुलर हो तो बहुत फायदे में रहोगो, बहुत से सवालों से ऊपर रहोगे!!

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

भाई सुरेश जी की निर्भीक और सत्यपरक लेखनी के हम भी कायल हैं. उनके आलेख रास्त्र प्रेमियों में ऊर्जा का संचार करते हैं.

धन्यवाद !