22 नवंबर 2009

सेकुलर को नहीं दोष गुसाई-१


लगता है इस देश में सेकुलर होने से आपको कोई भी जुर्म करने का लायसेंस मिल जाता है. चाहे आपने ह्त्या की हो, करोडो के घोटाले किए हो, जनता के साथ धोखा किया हो, देश का सम्मान गिरवी रखकर अमेरिका के पैरो में दंडवत किया हो, खूंखार आतंकी कि सजा माफ़ कर दी हो, यहाँ सब माफ़ है. बस आप सेकुलर हैं तो मीडिया से लेकर मानवाधिकारवादी और जेएनयु प्रायोजित बुद्धिजीवी से लेकर 'नामवर' साहित्यकार सब आपको माफ़ कर देंगे और आपके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे. क्योंकि आप इस देश के महान सेकुलर (यानी हिन्दू द्वेषी) हैं. मीडिया आपसे आड़े-टेढ़े सवाल नहीं पूछेगी. आपके खिलाफ खबरे देकर लोगो को जागरुक करने का तो प्रश्न ही नहीं है. उलटा आपको महान बताकर गुणगान ही करेंगी. पेश है दिल्ली की सेकुलर कोंग्रेसी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित  की काली करतूत का एक नजारा. जिन्होंने जेसिका लाल मर्डर केस के दोषी और हरियाणा के कोंग्रेसी नेता के सपूत मनु शर्मा को मौजा-मस्ती के लिए पैरोल पर छुडवाकर कानून-व्यवस्था के धज्जियां उडाई. अगर यह किसी शिवराज, मोदी, येदीयुरप्पा, या रमनसिंह ने किया होता तो मीडिया का कवरेज कितना भयानक और तीस्ता जावेद सेतलवाड से लेकर हर्ष मंदार और महेश भट्ट जैसे स्वयंभू 'मानवाधिकारवादी' कितने सक्रीय होते, इसकी आप सहज कल्पना कर सकते हैं. पेश है दैनिक जागरण में छपी खबर की एक कतरन..


पैरोल के तरीके पर सरकार को फटकार

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो: मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे मनु शर्मा को पैरोल देने के तरीके पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई है। जस्टिस कैलाश गंभीर ने दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि उच्चस्तरीय संपर्क वाले दोषियों को पैरोल देने में तवज्जो दी गई है। पैरोल आवेदनों की संख्या वाली सूची निराशाजनक तस्वीर पेश कर रही है।
शुक्रवार को जस्टिस कैलाश गंभीर ने कहा कि सामान्य मामलों में सरकार किसी दोषी के पैरोल आवेदन पर फैसला करने में तीन से छह महीने का समय लगाती है, लेकिन जेसिका हत्याकांड मामले में दोषी मनु शर्मा की याचिका को दिल्ली सरकार ने 20 दिनों के भीतर ही स्वीकार कर लिया। अन्य मामलों की लंबी सूची सरकार की प्राथमिकता दर्शाने के लिए काफी है। इसमें संदेह नहीं कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने कुछ दोषियों के उच्चस्तरीय संपर्क के चलते उन्हें खास तवज्जो दी।
अदालत ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि दिल्ली निवासी दोषियों के पैरोल आवेदनों को 10 दिनों और दिल्ली के बाहर रहने वालों का आवेदन 20 दिनों में सत्यापन कराएं। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि कम से कम 15 दिन और अधिकतम एक महीने में पैरोल आवेदनों का निपटारा सुनिश्चित करें।
कनॉट प्लेस शूटआउट मामले में दोषी सुमेर सिंह की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने ये बातें कहीं। सुमेर ने अपने बचाव में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाने के लिए इस आधार पर तीन महीने की पैरोल मांगी है कि उसके परिजन अनपढ़ हैं।
हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये पर निराशा जताते हुए 10 नवंबर को दिल्ली सरकार के गृह सचिव को नोटिस भेजते हुए निजी तौर पर अदालत में पेश होने का हुक्म दिया था, ताकि वह पैरोल आवेदनों से निपटने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद हो रही देरी के संबंध में सफाई दे सकें। अदालत ने 10 नवंबर को हुई अंतिम सुनवाई में पैरोल मामलों के संबंध में सरकार द्वारा निर्देशों के पालन न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
गौरतलब है कि जेसिका लाल हत्याकांड मामले में दोषी मनु शर्मा को उसकी मां के अस्वस्थ होने के आधार पर 22 सितंबर को पैरोल पर रिहा किया गया था।
(Source: दैनिक जागरण:Nov 20, 11:51 pm ) 

1 टिप्पणी:

निशाचर ने कहा…

शायद केंद्र में दूसरी बार और दिल्ली में तीसरी बार चुन लिए जाने से कांग्रेसी सरकार जनता को 'taken for granted' मानकर चल रही है.