अल्पसंख्यकों पर और बरसेगी रहमत
(July 06, 2009 / 07:53 pm) नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]
अल्पसंख्यकों पर दरियादिली को लेकर विरोधी पार्टियां सरकार पर भले ही बहुतेरे सवाल उठाती रही हों, लेकिन वह उनकी तालीम व तरक्की में कोई कोताही नहीं करेगी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट में 74 प्रतिशत का इजाफा करके उसने यह साफ कर दिया है। इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक बहुल जिलों में पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, बैंक आदि [मल्टी सेक्टोरल योजना] की व्यवस्था पर भी सरकार खास ध्यान देगी।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में चालू वित्तीय वर्ष [2009-10] के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए 1740 करोड़ रुपये के बजट का ऐलान किया। यह मंत्रालय के पिछले [2008-09 में 1000 करोड़ रुपये] बजट से 74 प्रतिशत अधिक है। यह धनराशि खास तौर से नौ योजनाओं पर खर्च की जाएगी। ज्यादा ध्यान 20 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले जिलों में मल्टी सेक्टोरल योजना के कार्यों पर दिया जाएगा। अल्पसंख्यक छात्रों की तालीम के मद्देनजर पूर्व मैट्रिक छात्रवृत्ति, मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति के साथ ही उच्च स्तर पर व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों के लिए योग्यता सह-युक्ति छात्रवृत्ति [मेरिट कम मींस] भी प्राथमिकता में शामिल हैं।
अल्पसंख्यकों पर सरकार की गंभीरता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि कुल बजट में से 990 करोड़ रुपये सिर्फ मल्टी सेक्टोरल योजना, मौलाना आजाद फाउंडेशन को अनुदान, पूर्व मैट्रिक व मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्तियां और एनएमडीएफसी पर खर्च किए जाएंगे। पश्चिम बंगाल व केरल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैंपस खोले जाने के के लिए 25-25 करोड़ रुपये का अलग से आवंटन कर भी सरकार ने अल्पसंख्यकों की तालीम पर अपनी गंभीरता का संदेश देने की भी कोशिश की है।क्या होगा असर
अल्पसंख्यकों में कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण, मौलाना आजाद फाउंडेशन को सहायता अनुदान, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम [एनएमडीएफसी] को इक्विटी और विकास योजनाओं का मूल्याकंन भी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का बजट बढ़ाए जाने के कारण हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप और राज्य वक्फ बोर्डों के रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण के लिए केंद्रीय वक्फ बोर्ड को भी इसी बजट से धन दिया जाएगा। इससे जहां मुस्लिम इलाकों में विकास होगा, वहीं अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों में पढ़ाई और पेशेवर हुनर का स्तर भी ऊपर उठ सकेगा।(Source: दैनिक जागरण)
आजाद हिन्दुस्तान में जिन शब्दों ने सबसे ज्यादा गुमराह किया है, उनमें से एक है “सेकुलर”. इसी के सही मायने समझने-समझाने और भारत की सेकुलर राजनीति का पर्दाफाश करने के साथ ही मुख्यधारा के मीडिया, विचारकों की दुनिया में घुसे तथाकथित सेकुलर-वादियों की खरपतवार के पाखंड को उजागर करना ही हमारा लक्ष्य है. यह एक गैर-राजनीतिक मंच है. और देश में सर्वधर्म समानता, सदभाव, और राष्ट्र की अस्मिता के रक्षण के लिए समर्पित इस अभियान में आपके सहयोग की अपेक्षा है. वंदेमातरम! जयहिंद !
12 जुलाई 2009
एक और 'सेकुलर' बजट
कोंग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने एक बार फिर अपने 'सेकुलर' होने का सबूत देते हुए बजट को वोट बैंक की राजनीति का हथियार बना दिया है. सरकार ने अपने बजट में तथाकथित अल्पसंख्यकों के तथाकथित कल्याण के लिए १७०० करोड़ रुपये की भारी रकम बाँटीं है वहीं हाल ही में सेकुलर बनी ममता बनर्जी ने रेलवे बजट में भी अल्पसंख्यकों को कई सौगाते दी हैं. यही नहीं मदरसों को भी काफी खैरात बांटकर उन्हें 'अपनी मर्जी से पढाने की छूट' भी बख्शीस दी है. यानी देश के प्रति किसी जिम्मेदारी के बिना ही 'माल-ए-मुफ्त' खाने की आजादी. वह भी किसी सोनिया या मनमोहन के बटुए से नहीं बल्कि देश के करोडो करदाताओं की जेब से!
इस बजट में एक और मजे की बात यह है की अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर इस सरकार ने सिर्फ मुसलमानों के कल्याण में ही सरकार की तत्परता दिखती है. बाकी बचे अल्पसंख्यक समुदायों जैसे जैन, सिक्ख, बौद्ध, पारसी, ईसाई आदि का बजट में जिक्र ही नहीं है. आखिर धर्म के आधार परा रेवडियाँ बांटकर जनता की गाढ़ी कमाई से अपना वोट बैंक मजबूत करने का सिलसिला किस तरह का सेकुलरिज्म है? इसका जवाब न तो कोंग्रेस के पास है, ना ही सेकुलरवाद पर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले मुलायम, अमर, पासवान, मायावती, लालू और कम्युनिस्टों के पास.खैर देश की अर्थव्यवस्था और महंगाई जाए भाड़ में, हमें तो अपना वोट बैंक मजबूत बनाना है. जय हो सेकुलरिज्म!
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आइये इस विषय पर हिन्दी के प्रमुख अखबार 'दैनिक जागरण' में छपी News पर गौर फरमाते हैं:
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2 टिप्पणियां:
http://jayprakashmanas.blogspot.com/2009/07/blog-post_16.html
पर आपकी टिप्पणी की ज़रूरत है ।
हो सकता है अधिसंख्यक जनता ये गंदा खेल नहीं जानती हो और इसमें दोष मीडिया से ज्यादा खुद उनका है | अरे भाई जब मुझे ये अच्छी तरह मालूम है की NDTV, CNN-IBN जैसे चैनल रोज गला फाड़-फाड़ कर हिन्दू विरोध की बात करते हैं तो phir ऐसे चैनल क्यों देखते हो | क्यों नहीं एक अच्छी अखबार www.dailypioneer.com या www.organiser.org या दनिक जागरण भी पढ़ कर सत्य जान लेते हो ? क्यों NDTV, CNN-IBN पे ही अटके रहते हो ?
आगे की बात करते हैं, सच पता भी चल गया , अब क्या ? अरे हमें सच पता चल गया तो क्या, मैं इसकी बात नहीं करूंगा क्योंकि मैं पढ़ा-लिखा हूँ और मैं अपने आपको सेकुलर कहलाना चाहता हूँ | एक बढ़िया उपाय है मौन धारण कर लेता हूँ | anonymous बन के एक दो कमेन्ट आपके जैसे ब्लॉग पे डाल देता हूँ , चलो भाई अब तो मैंने अपना काम पूरा कर लिया ना, अब तो खुश है ना ?
ये कहानी है अपनी हिन्दू जनता की | सुतुर्मुर्ग की तरह सर रेत मैं छुपा कर सोचते है संकट है ही नहीं | ज्यादातर हिन्दू भाई मनमोहन, सोनिया , राहुल.... किसी भी सेकुलर को गलत मानने को तैयार ही नहीं | बात करते हैं मनमोहन, सोनिया, राहुल जी बहुत पढ़े लिखे हैं वो ऐसा नहीं कर सकते | अब कैसे बताएं, चलिए संस्कृत का एक श्लोक पढ़े लिखे लोगों के बारे मैं क्या बोलता है "मणिना भूषित सर्पः किमसो न भयंकरः " अर्थ : मणि से आभुसित सर्प क्या खतरनाक नहीं होता ?
खैर छोडिये कहाँ मैं भी ऐसी बात ले बैठा जिसपे कोई सोचने-विचारने वाला नहीं | यदि मेरे टिपण्णी से कहीं हताशा झलकती है तो क्षमा चाहूंगा ऐसा लिखने के लिए क्या करूँ मन नहीं माना |
मैं आपके हिन्दू उत्थान के मुहीम मैं आपके साथ हूँ | पर मैं ऐसा मानता हूँ की समस्या पे विचार बहुत हो गया, कब तक बस एक-दो पोस्ट करके इसपे चर्चा ही करते रहंगे | अब तो समस्या से समाधान की बात होनी चाहिए, हमें क्या करना है इसपे बात होनी चाहिए | यदि मेरे सहयोग की आवश्यकता हो तो बेझिझक बोलें |
जय हिंद |
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